Vimal Series
जुर्म की आंधी में पत्ते की तरह उड़ते, पनाह तलाश करते, निरंतर जुल्म के खिलाफ लड़ते महानायक की महागाथा
विमल उर्फ सोहल
- सात राज्यों में घोषित इश्तिहारी मुजरिम,फिर भी आवारागर्द कुत्ते जैसी दुर् दुर् करती जिंदगी ।
- कई बैंक डकैतियों के लिए जिम्मेदार, फिर भी गुनाह के अंध में खूंटे से उखड़ा ।
- कई हत्याओ के लिए जिम्मेदार नृशंस हत्यारा,फिर भी खुद अपनी सलामती के लिए पनाह मांगता ।
- दुश्मनों का पुर्जा-पुर्जा काट डालने वाला जालिम, फिर भी दीन के हित में लड़ने वाला, मजलूम का मुहाफिज ।
"विमल सीरीज करिश्माई वाकयात और मिकनातीसी किरदारनिगारी की जुगलबंदी से पैदा होने वाला एक ऐसा करिश्मा है जो सालोंसाल इंतज़ार के बाद कभी एक बार वाकया होता है ।"
न भूतो न भविष्यति ! विमल
कोई सूरत नहीं रिहाई की ।
जो घर जारो आपना, चलो हमारे साथ ।"
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
25
जिसकी तकदीर पत्थर की कलम से लिखी गयी हो, जिसको उसका बनाने वाला कुत्ते जैसी दुरदुर करती जिंदगी जीने के काबिल समझता हो, उसका डार से बिछुड़ने के बाद मौत के मुंह में जाकर गिरना ही अपेक्षित था ।
23
परोपकार की भावना ने ना केवल विमल की जिंदगी का दुर्लभ ठहराव छीन लिया था बल्कि उसे जिंदगी के एक ऐसे मोड़ पे ला खड़ा किया था जहाँ से हर रास्ता मौत की तरफ जाता था ।
21
एक पीड़ित लड़की की हमलावर बांह की फरियाद सुनकर विमल निर्लिप्त ना रह पाया । शीघ्र ही उसने खुद को जहाज के पंछी की भांति अपनी गुनाह से पिरोई जिंदगी के रूबरू पाया ।
19
जद्दोजहद के बाद विमल ने एक नए चेहरे के साथ जब नगरी में प्रवेश किया तो पाया कि नगरी अभी भी उन्हीं पापियों से भरी पड़ी थी ।
13
एक ऐसी गाथा जिसका शब्दों में वर्णन असंभव है । एक ऐसी गाथा जिसने सुरेन्द्र मोहन पाठक को हिंदी उपन्यासकारों का अविवादित सिरमोर बना दिया । बखिया पुराण का दूसरा अध्याय ।
11
विमल की अपने अंधेरे, भुला देने योग्य अतीत से एक मुठभेड़ जिसे वो जीत कर भी हार गया । बखिया पुराण का असम्मिलित अध्याय
3
विमल की तलाशी में पुलिस को रिवॉल्वर और नोट बरामद हुए और फिर विमल के हाथों में हथकड़ियां ! विमल ने सोचा खेल खत्म । क्या सचमुच ?
1
अपनी सैलाब जैसी जिंदगी में ठहराव तलाशते, अपने अतीत से शर्मिंदा, वर्तमान से आशंकित और भविष्य से आतंकित महानायक सरदार सुरेन्द्र सिंह सोहल उर्फ विमल की महागाथा का पहला और अविस्मरणीय अध्याय ।
बिखर चुके विमल की मुंबई अंडरवर्ल्ड के चार
खलीफाओं के साथ संघर्ष की विस्फोटक
कहानी !
वाहेगुरु के खालसा, गुरां दे सिंह, सोहल की अपने दुश्मनों को ललकार: 'मैं वाहेगुरु जी का खालसा हूं। मैं गुरां दा सिंह हूं। मैं बादलों की तरह गरजूंगा और उतनी ही बुलंद आवाज में अपना क़हर दुश्मनों पर नाजिल करूंगा। मेरी ललकार बैरियों का वजूद थरथरा देगी। मेरी चीत्कार शोले बनकर उनकी औकात पर बरसेगी।''
हरदिल अजीज सोहल की जिंदगी का फलसफा
20
जिस कानून से विमल भागता फिर रहा था, उसी कानून के एक मुहाफिज ने जब विमल की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो विमल मना नहीं कर पाया । कदम कदम पर दुश्मनों से घिरे विमल के लेख में ये एक नया पड़ाव था ।
18
जिंदगी में ठहराव और सुकून की खोज में विमल ने जैसे तैसे करके एक नया चेहरा तो हासिल कर लिया, पर क्या वो चेहरा उसे कोई सुकून दिला पाया ? या एक बार फिर उसकी किस्मत ने अपना खेल दिखा दिया ?
12
एक ऐसी गाथा जिसका शब्दों में वर्णन असंभव है । एक ऐसी गाथा जिसने सुरेन्द्र मोहन पाठक को हिंदी उपन्यासकारों का अविवादित सिरमोर बना दिया । बखिया पुराण का पहला अध्याय ।
10
पाठक संसार के दो सितारों की कशमकश की एक ऐसी दास्तान जिसका तेजरफ्तार कथानक पाठकों को बांधे रखता है और अंत भावविभोर कर डालता है ।
8
एक ऐसी डकैती की तेजरफ्तार कहानी जिसने समाज के स्थापित आदर्शों, और मान्यताओं के प्रति विमल का नजरिया ही बदल डाला ।
2
बम्बई से तो विमल भागकर मद्रास आ गया, लेकिन क्या अपनी किस्मत से भागना इतना आसान था ? एक बार फिर विमल ने ना चाहते हुए भी खुद को एक जुर्म में शामिल पाया ।