Sudhir Kohli 'The Lucky Bastard' Series
सुरेन्द्र मोहन पाठक ने इस अनोखे व्यक्तित्व वाले किरदार को पहली बार 1980 में पेश किया था । उस समय तक भारत में प्राईवेट जासूसी का व्यवसाय कभी चुकंदर और तम्बाकू की तरह दुर्लभ माना जाता था । फिर भी सुरेन्द्र मोहन पाठक ने इसी व्यवसाय को केंद्र में रखते हुए सुधीर कोहली की रचना की जो कि अपने आप में एक चुनौती था जिसकी सुरेन्द्र मोहन पाठक जैसे लेखक से ही अपेक्षा की जा सकती थी ।
हालांकि पाठक साहब ने अभी तक सुधीर सीरीज के केवल 22 उपन्यास ही लिखे हैं जो कि उनके उपन्यासों की गिनती का 10% भी नहीं है; पर फिर भी हर उपन्यास मनोरंजन से भरपूर है । पाठक साहब की जगविख्यात लेखन शैली में सुधीर का रहस्यों से परत दर परत पर्दा उठाना, उसकी दार्शनिक उक्तियां पाठकों को उपन्यास को एक ही बैठक में समाप्त करने को मजबूर कर देती हैं ।
21
श्यामली इस नामुराद खबर के साथ सुधीर के पास आई थी कि उसकी बेटी के घर ना लौटने में जिस शख्स का हाथ दिखाई देता था उसे
मरे बाईस साल हो चुके थे । अब क्या उसका प्रेत था जो बहुरूपिया बना हर जगह
हाजिरी लगाता फिरता था !
19
लक्की खुराना का पिता उसे एक बड़ा एग्जीक्यूटिव बताता था, जबकि वो एक नौकरी से निकाला हुआ नाकाम सेल्समैन था । वो किस बिसात का प्यादा था ? कौन था वो शातिर खिलाड़ी जो उसे मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा था ?
9
हर अपराधी के बारे में कहा जाता कि वो अपने अपराध का कोई न कोई सुराग जरूर छोड़ता है । लेकिन वो ऐसा अपराधी था जिसने अपने अपराध का कोई भी सुराग नहीं छोड़ा था ।
7
एक ऐसी दास्तान जो दो पार्टनर बिजनिस मैन के आपसी मतभेद से शुरू हुई लेकिन केवल मतभेद तक ही सीमित ना रह पायी ।
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वो फांसी कोठी में बैठा अपनी निश्चित मौत का इंतज़ार कर रहा था ! चौतरफा अँधेरे से घिरे शख्स को अचानक अहसास हुआ कि वी किसी की जिंदगी में जगमग कर सकता था !
14
सुधीर के क्लायंट का सिर्फ इतना गुनाह था कि वो ऐसी जगह पर मौजूद था जहां एक पुलिस अधिकारी का कत्ल हुआ था । अब पुलिस उस आदमी की तलाश में थी जो मौकाए वारदात पर मौजूद था ।
8
कहते हैं दुनिया में हर किसी का कहीं न कहीं कोई न कोई डबल होता है । सुधीर कोहली की बदकिस्मती से उसका डबल दिल्ली में ही निकल आया । दोनों में से एक का मरना लाजमी था ।
6
उसकी बीवी जब उसके अपने ड्राइवर के साथ एक कमरे में बंद पायी गयी थी तो ये किसी ने ना सोचा था कि ये तलाक के हर्जेखर्चे से बचने के लिए बीवी के खिलाफ एक सोची समझी साजिश हो सकती थी । क्या सच में ही ऐसा था ?