Sunil Series

"खींचो ना कमानों को, ना तलवार निकालो
जब तोप मुक़ाबिल हो, तो अखब़ार निकालो"

 पाठक साहब द्वारा रचित क्राईम रिपोर्टर सुनील कुमार चक्रवर्ती प्रसिद्ध शायर अकबर इलाहबादी की इन पंक्तियों को अक्षरशः सत्य करता और सत्यमेव जयते का नारा लगाता किरदार है जब 1963 में  पहली बार सुनील पाठकों से मुखातिब हुआ था, तो क्या प्रकाशक, क्या विक्रेता और क्या पाठक, सभी का ये मानना था कि डिटेक्टिव - फिक्शन की दुनिया जिसमें सीक्रेट एजेंट, प्राईवेट जासूस या पुलिस इंस्पेक्टर स्थापित और प्रमुख पात्र होते थे, एक पत्रकार का किरदार नहीं टिक सकता, नहीं टिकेगा ! आज लगभग आधी सदी बीतने और 120 उन्पयासों के प्रकाशन के पश्चात,  सुनील का किरदार डिटेक्टिव - फिक्शन में नए प्रतिमान स्थापित कर चुका है ! पिछले पांच दशकों के दौरान सुनील का ये किरदार, लाखों पाठकों के दिल और दिमाग पर अपनी अमिट छाप छोड़ चुका है ! सुनील की प्रसिद्ध "स्मार्ट टाक" को अनगिनत पाठकों ने ना केवल दिल से सराहा है, बल्कि अपने अंदाजे बयां में भी शामिल किया है !

सुनील पाठक साहब का सबसे चहेता किरदार है और वास्तव में स्वयं पाठक साहब के व्यक्तित्व की एक परछाई है ! पाठक साहब खुद लिखते हैं कि "हालाँकि विमल सीरीज ज्यादा मकबूल है पर मुझे तो सुनील सीरीज के उपन्यास लिखना ज्यादा भाता है ,क्योंकि सुनील सीरीज के उपन्यास लिखते वक़्त मैं अपनी कल्पना सुनील के रूप में करता हूं !"

                  122
वो एक सजीला नौजवान था, जिसे भ्रम का जाल फैलाने में महारथ हासिल थी, एक ऐसा जाल जिसमें खूबसूरत लड़कियां खुद फंसने को उतावली हो उठती थीं  वो कॉन के गेम का एक शातिर खिलाड़ी था  
ऐसे कॉनमैन को अगर एक रात उसकी जिंदगी ने ही कॉन कर दिया तो फिर क्या अचरज! 

120

सच्चाई और इन्साफ के पुजारी, ब्लास्ट के निर्भीक सिपाही सुनील का नवीनतम शाहकार ! घात और प्रतिघात का डबल गेम !

118
संजीव सहगल समझता था चमत्कारी अंगूठियां उसकी दुश्वारियां दूर कर सकती थी ! लेकिन उसकी चमत्कारी अंगूठी ने ही एक क़त्ल से उसका ऐसा रिश्ता जोड़ा कि वो पनाह मांग गया !
116
अटवाल की माली हालत काफी उम्दा थी और वो एक समर्थ आदमी था लेकिन एक जालान नामक दोस्त ने एक बिचौलिए के जरिये पूरे अटवाल परिवार को तिगनी का नाच नचा दिया !                

114
चिराग को अपने पड़ोस में मौत मंडराती जान पड़ती थी ! रात के सन्नाटे में उसे लगता था कि वो किसी मरघट के पड़ोस में रह रहा था ! क्या वो सच में हलकान था या वो उसके दिमाग का खलल था ?            
112
जिस तनहा जगह पर मकतूल रहता था उसे कोई उजड़ा चमन कहता था तो कोई भूत बसेरा लेकिन कत्ल किसी भूत का नाम न था और न हो सकता था !
110
महाजन एक तनहा शख्स था जो अपनी तंदरुस्ती से हाथ धो चुका था  और अब बिजनेस से भी धो सकता था ! अगर उसके दुश्मनों की बन आती तो जेल भी जा सकता था ! क्या वो दुश्मनों से पार पा सका ?
108
वो एक क्राइम प्रिवेंशन के अपने मिशन के तहत करप्ट लोगों की ब्लैक लिस्ट जारी करती थी ! जिस शख्स का नाम उसकी लिस्ट में आ जाता था वो उसके खून का प्यासा हो जाता था ! क्या किसी की प्यास बुझी ?
106
जब से उसके अंकल की मौत हुई थी, वो अपने गले में गुनाह की जंजीर लटकी महसूस कर रही थी ! उसके मन ने तभी चैन पाया जबकि उसने खुद कबूल कर लिया कि उसने अपने अंकल का कत्ल किया था !
104
एक अत्यंत रोमांचक कहानी जो कि ब्लास्ट के नाम आई एक गुमनाम चिट्ठी से शुरू हुई और ऐसे चौंका देने वाले अंजाम तक पहुंची कि जो किसी की भी कल्पना से परे था !
102
सालों के बाद एक धन कुबेर का पोता जैसे जादू के दम पर प्रकट हो गया और पूरी दौलत पर काबिज हो गया लेकिन उस पकी पकाई खीर में मक्खी तब पड़ी जब ब्लास्ट में ये लीड स्टोरी छपी कि वो पोता एक ठग था
100
एक ऐसी कहानी जो एक साधारण चोरी की घटना से शरू हुई लेकिन अंत में एक हौलनाक अंजाम तक पहुंची ! सुनील सीरीज़ का सौवां शाहकार !

98

सुनील के सामने चैलेन्ज था कानून का एक ऐसे मुजरिम को बेगुनाह साबित कर दिखाने का जिसके खिलाफ एक एयरटाईट केस था ! क्या सुनील उस चैलेन्ज पे खरा उतर पाया ?

96
सोनी फौजदार ने जब अपनी मर्जी से शादी करनी चाही तो उसके चाचा ने उसे जायदाद से बेदखल करने की धमकी दे डाली और फिर दौ सौ लोगों की मौजूदगी में उसके चाचा का कत्ल हो गया !

94
राजदान अपने आपको हिप्नोटिस्ट बताता था, उसका दावा था कि वो अपने अनोखे इल्म के सदके किसी से भी अपनी मनमानी करवा सकता था ! सवाल ये था कि क्या वो किसी से किसी को कत्ल करवा सकता था?
92
गुलाब सी हसीन, मासूम और ताजगीभरी युवती की ससनिखेज दास्तान जो शादी करने के लिए निकली लेकिन किसी ने पहले ही उस गुलाब की पंखुड़ी नोच ली

90
बुराई और भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी और सदाचार की जंग ! राजनैतिक उथल पुथल को रेखांकित करती एक दिलचस्प दास्तान !

88
दीवान साहब का किसी ने गले में चाकू घोंप कर कत्ल कर दिया ! दिव्या का कहना था कि वो कत्ल उसने नहीं किया ! लेकिन किसी को भी उसकी बात पर विश्वास नहीं था, सिवाय आदत से मजबूर सुनील के !

86
तरक्की करने की नीयत से घर से निकली एक नौजवान लड़की की कहानी जो सीढ़ी दर सीढ़ी पतन के गर्त में गिरती चली गयी

84

इन्स्पेक्टर प्रभूदयाल ने चौबीस घंटे के अंदर डकैती के गुनाहगारों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन जब डकैतों ने उस पर इल्जाम लगा डाला कि उसने डकैती की रकम का एक हिस्सा खुद डकार लिया था

82
एक साधारण चोरी की वारदात के तार एक कत्ल से ऐसे जुड़े कि कीर्ति के हवास खो गए जब उसके अपने परिवार ने भी उस पर विश्वास ना किया तो उसे सुनील सिर्फ का ही आसरा था
 
80
एक तेज भागती कार जब एक पद से जा टकराई तो ड्राइवर का तो बाल भी ना बांका हुआ लेकिन उसकी बगल में बैठे आदमी ने वहीं दम तोड़ दिया ! एक रहस्यपूर्ण एक्सीडैंट की रोमांचक दास्तान
78
एक ऐसी रात की कहानी जिसकी शहर के बड़े इज्जतदार और सम्भ्रान्त लोग लीपापोती करने की कोशिश कर रहे थे

76

फांसी लगने वाले एक बेगुनाह की पुकार पर जब सुनील ने उस केस के बखिए उधेड़ने शुरू किये तो ऐसे ऐसे रहस्य सामने आये कि लोग चकित रह गए ! सुनील सीरीज का एक अभूतपूर्व उपन्यास !

74
घटना के समय एक नौजवान लड़की कोठी से भागती देखी गयी । पुलिस के अनुसार हत्यारी वही युवती थी लेकिन केवल सुनील जानता था कि उस युवती के अलावा एक अन्य औरत भी वहां मौजूद थी जिसकी चीखों से कि कोठी गूंज उठी थी ।
72
एक लेबर यूनियन लीडर की बेटी की एक सिंगर के लिए दीवानगी से उपजी रहस्यपूर्ण कहानी जिसमें सुनील की टांग न फंसी होती तो शायद क़त्ल न होता !
70
उस आदमी ने जब सुनील का दरवाजा खटखटाया तो वो मौत की कगार पर था ! सुनील को ऐसा लगा जैसे कि उसने एक लाश को दरवाजा खोला हो ! क्या ये केवल संयोग था ?

68
एक बिजनेस डील के चक्कर में इकट्ठे हुए मेहमानों के बीच में कुछ ऐसा घटित हुआ कि सबका मानना था कि रमा ने अपने पति का खून किया था । लेकिन रमा को अपराधिनी मानना तो दूर, सुनील यह तक मानने को तैयार नहीं था कि उसका कत्ल हुआ था ।
66
डॉक्टर तेजा एक करोड़पति इंडस्ट्रियलिस्ट था जो अब राजनीति में भी तरक्की कर दिखाने का तमन्नाई था ! कोई सैक्स स्कैंडल उसके जीवन का सर्वनाश कर सकता था

64

एक बहुत ही बड़े लेखक की जिंदगी की लिखी आखिरी और अप्रकाशित स्क्रिप्ट के चक्कर में घटित हुई असाधारण घटनाओं की एक रोमांचक कहानी 
62
गिरधारीलाल की खूबसूरत, जवान बीवी का मानना था कि उसके पति को जुये के खेल में ठगा जा रहा था मदद के लिये आगे आये सुनील की टांग उस मामले में ऐसी फंसी कि साधारण जुए का खेल खून का खेल बन गया ।

60

ठाकुर जोरावर सिंह की कलाकृतियों के संग्रह को देखने आया हवेली का एक मेहमान जब अचानक गायब हो गया तो सबका मानना था कि वो हवेली के भुतहा माहौल और प्रेतलीला से डरकर भाग गया था । लेकिन सुनील सबसे सहमत नहीं था ।

58
जुगल ने जब एक खूबसूरत लड़की की मदद करने की ठानी थी तो उसे नहीं पता था कि उसे स्मगलिंग में यूज किया जा रहा था और जब उसे इस बात का अहसास हुआ तो बहुत देर हो चुकी थी और अब उसे आसरा था तो सिर्फ सुनील का
56
अपने अगले मिशन के तहत सुनील को एक बैंक में डाका डालना था लेकिन हालात ने ऐसी करवट बदली कि उसने खुद को दुश्मनों से घिरा पाया एस्पियानेज के कुचक्र में लिप्त सीक्रेट एजेंट्स के घात और प्रतिघात की अविस्मरणीय कहानी
54
सभ्य लोगों की असभ्य हरकतों की सनसनीखेज दास्तान जिसमें धोखा-दर-धोखा अहमतरीन किरदार की तरह शामिल था और जिसमें सुनील खिचड़ी में घी की तरह घुला-मिला हुआ था । एक सदाबहार मर्डर मिस्ट्री ।
52
एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन डॉक्टर रंगनाथन के अपहरण के एक षड़यंत्र की एक टिप सुनील को मिली थी लेकिन उसकी बात पर किसी भी अधिकारी को विश्वास नहीं था । इस विषय में अब जो करना था, उसे खुद ही करना था ।
50
अपनी बेटी की तलाश के सिलसिले में सुनील से मदद मांगने आया दुर्गादास नहीं जानता था कि सुनील की हर ऐसी खोज लड़की की लाश पर खत्म होती थी क्या इस बार भी होनी को यही मंजूर था !  क्या सुनील होनी को अनहोनी कर पाया !
48
अपने ही फ्लैट के बैडरूम में मरी पड़ी पाई गई एक जवान लड़की से अपने सम्बन्धों की जो कहानी लाला मंगतराम ने सबको सुनाई थी, उस पर किसी को भी विश्वास नहीं था, सब पर आसानी से विश्वास कर लेने वाले सुनील को भी नहीं !
46
वो एक मामूली-सा एक्सीडेंट था जिसमें बीमा कम्पनी हरजाना तक भरने को तैयार थी । लेकिन फिर सुनील की उस मामले में ऐसी टांग उलझी कि वो मामूली-सा मामला रहस्य और पेचीदियों का घर बन गया ।
44
एक अजीबोगरीब वसीयत द्वारा छोड़ी गयी विरासत को जब उसके वारिस ने काबू में करने की कोशिश की तो एक के बाद एक कत्ल होने शुरू हो गये । आखिर कौन था वो कातिल जिसका कि मूल मन्त्र था एक खून और, एक खून और !
41 & 42
बांगलादेश के स्वाधीनता संग्राम के परिवेश में सैट एक अद्भुत गाथा
'अमन के दुश्मन' और 'हाईजैक'
का सामूहिक संस्करण
39
एक बड़े सेठ के हाथों जब एक लड़की की हत्या हो गई तो किसी के कान पर जूं ना रेंगी । उसकी दौलत के रोब से थर्राए सम्बन्धित व्यक्ति ही लीपापोती पर उतारू हो गए । लेकिन फिर सुनील की टांग अचानक उस मामले में जा फंसी !
37
जनरल के की योजना और विश्व को तीसरे विश्व युद्ध से बचाने का एकमात्र उपाय था उसकी हत्या ये एक मुश्किल मिशन था लेकिन इससे भी मुश्किल था उसे दुश्मन देश में ढूंढ पाना क्या सुनील इस आत्महत्या सरीखे मिशन में कामयाब हो पाया ?
35
एक कीमती नैकलेस खो जाने जैसी साधारण प्रतीत होने वाली घटना में जब ब्लास्ट के रिपोर्टर सुनील की टांग जा फंसी तो घटनाक्रम ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि नैकलेस की मालकिन के पूरे परिवार की जिंदगी में जैसे भूचाल आ गया ।
33
मार्क हैरिसन भारतीय स्पाई चक्र की एक ऐसी महत्वपूर्ण कड़ी था जो कि अपना राज खुल जाने के कारण कमजोर कड़ी बन कर रह गया था । सुनील का मिशन था उस कमजोरी को दूर करना । एक ऐसा मिशन जो कि आग से खेलने के समान था ।

31

मेनरिको रोजी नामक मामूली स्मगलर के हाथ जब देश की सुरक्षा सम्बन्धी महत्वपूर्ण कागजात लगे तो वो रातों-रात अमीर होने के ख्वाब देखने लगा वो नहीं जानता था कि वो आग से खेल रहा था और जल्द ही उसकी जान पर बनने वाली थी ।

29

सन्तोष कुमार जितना अच्छा और बड़ा अभिनेता था, उतना ही बददिमाग और घटिया इंसान भी था । ऐसे इन्सान को जब मार डालने की कोशिश की गयी तो किसी को कोई ताज्जुब ना हुआ !

27
वो एक ब्लैकमेलर था जो अपनी इस कारगुजारी को गुनाह नहीं अपितु ‘व्यवसाय’ मानता था । और फिर एक रात जब उस ‘व्यवसायी’ के घर डाका पड़ा तो ब्लैकमेलर के खुद ब्लैकमेल होने की नौबत आ गयी ।

 25

कृति मजूमदार का पति एक स्मगलर था जो किसी और के हाथ की कठपुतली बना हुआ था । और फिर जब कृति ने अपने पति को इस चंगुल से छुड़ाने की खातिर सुनील से मदद मांगी तो उसकी जिंदगी में जैसे एक भूचाल आ गया ।

23
एक शाही मेहमान, अतुलनीय और असीमित सुरक्षा प्रबंधों के बावजूद गायब पाया गया । और सुनील के लिये भारी शर्मिंदगी की बात ये थी कि जो कुछ भी घटित हुआ था उसकी नाक के नीचे हुआ था ।
21
‘डैमसेल इन डिस्ट्रेस’ की हमेशा मदद करने को तत्पर रहने वाला सुनील इस बार खुद ही ‘डिस्ट्रेस’ में आ गया । कला नाम की एक ऐसी खूबसूरत औरत की कहानी जो झूठ बोलने की कला में खूब पारंगत थी ।
19
शम्भूदयाल एक दुस्साहस लुटेरा था जिसने अपने साथियों के साथ मिलकर ना सिर्फ बैंक लूटा था, बल्कि तीन सिपाहियों को भी गोली से उड़ा डाला था । लेकिन अब उसके वही साथी उसके पीछे पड़े थे, उसकी जान के दुश्मन बन बैठे थे ।
17
सुनील के मित्र जुगल उर्फ बन्दर के एक निर्दोष एडवेंचर प्रतीत होने वाली एक करामात से ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि सुनील को लगा जैसे उसके गले और फांसी के फन्दे में थोड़ा ही फासला रह गया था !

 15

सी आई बी एजेंट द्वारा तैयार की गयी कुछ अति महत्वपूर्ण लिस्टें सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बजाय दुश्मन के हाथों में पड़ गयी । और अब कर्नल मुखर्जी के सामने सुनील को हांगकांग भेजने के अलावा और कोई रास्ता शेष ना था !

13

डॉक्टर चन्द्रशेखरन ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण एटॉमिक शस्त्र का आविष्कार किया था । लेकिन फिर एक दिन रहस्यपूर्ण हालातों में डॉक्टर का उनके शस्त्र समेत अपहरण कर लिया गया ! आखिर कौन था इस अपहरण के पीछे ?

11

चार लुटेरे अपनी योजना हर कदम पर आती कठिनाइयों के बावजूद माल लूटने में कामयाब हो तो गए लेकिन फिर उनकी लूट की खीर में ब्लास्ट के रिपोर्टर सुनील चक्रवर्ती के रूप में जैसे मक्खी पड़ गई !

9
ब्लास्ट के होनहार पत्रकार राजेश को जब एक एक्सक्लूसिव खबर मिली तो उसकी खुशी का कोई पारावार न रहा । काश कि वो जानता होता कि इस खबर को छपवाने की उसे बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी !

7

दीवान नाहर सिंह अपनी ऐतिहासिक कलेक्शन की नुमायश के लिये अनेक सुरक्षा इंतजामों के बीच अक्सर बड़ी-बड़ी पार्टियां देता था । लेकिन उसके उन तमाम इंतजामों के बावजूद एक पार्टी के बाद एक बुद्ध की मूर्ति गायब पाई गई ।

5
दीवानचन्द पर इल्जाम लगाया गया था कि उसने एक मासूम लड़की की जिंदगी तबाह कर डाली थी । साथ ही उसकी बीवी को चिट्ठी भेजने की भी धमकी दी गयी थी । जबकि खुद दीवानचंद का दावा था कि उसने कुछ गलत नहीं किया था ।
3
भरे-पूरे होटल में दिन-दहाड़े, अनेकों चश्मदीद गवाहों की मौजूदगी में हुई एक हत्या को जब कातिल ने डकैती का जामा पहना डाला । लेकिन ये शायद कातिल का दुर्भाग्य ही था कि उन गवाहों में एक ब्लास्ट का रिपोर्टर सुनील भी था ।

1

पुलिस की नजर में वो एक सीधा-सादा केस था जिसमें उनके पास अकाट्य सबूत थे लेकिन फिर प्रैस रिपोर्टर सुनील के दखल के बाद वो एक सीधा-सादा केस ना बना रह पाया सुरेन्द्र मोहन पाठक की कलम से निकला पहला उपन्यास

121
हिमेश सिंगला में ऐसा कुछ नहीं था जो औरतों को आकर्षित कर पाता । फिर भी वो औरतों का रसिया था और अपनी लम्पट प्रवृत्ति को छुपाता भी नहीं था । फिर एक रात वो अपने घर में माथे पर गोली खाकर मरा पड़ा पाया गया ।

119

प्रकाश खेमका पर आरोप था कि वो अपनी मैगज़ीन की ओट में फ्रेंडशिप क्लब चलाता था ! वो इस इलज़ाम से मुक्त न हो पाता तो मैगज़ीन बंद हो सकती थी ! वो खुद बंद हो सकता था ! 

117
जाल उसकी जान का जंजाल बन गया और राजनगर में एक ही शख्स था जो उसे जाल से, जंजाल से रिहाई दिला सकता था !
115
बंकाला रुतबे वाला शख्स था उसकी सितारों की गर्दिश में आस्था की वजह से कुछ स्वार्थी तत्व उसे ऐसे शख्स बता रहे थे जिस पर हत्यारी प्रवृत्ति हावी थी जो कि चांद की रात को और बेकाबू हो उठती थी
113
किसी को सुनील के बारे में ये खामख्याली थी कि उसके पास अलादीन का चिराग था, उसके पास हर बात का जोड़ था ! अब सुनील की नैतिक जिम्मेदारी बन गयी कि वो उन उम्मीदों पर खरा उतर कर दिखाए !                
111
सुनील की प्रवृत्ति ही ऐसी थी कि वो किसी सुंदरी को संकट में नहीं देख सकता था ! इसीलिए जब सुरभि ने उसे अपने साथ हुई बदसुलूकी की दारुण दास्तान सुनाई तो वो पसीजे बिना न रह सका !
109
वो बेताल था, चलता फिरता प्रेत था, कहीं से भी प्रकट हो सकता था और कहीं से भी गायब हो सकता था ! उसका दावे के साथ धमकी थी कि वो जब चाहता, हाथ बढ़ा कर अपने शिकार की गर्दन दबोच  सकता था !

107

वो कलम को ब्लैकमेल का औजार बनाने वाला ब्लैकमेलर था ! वो एक शिकारी था, जो आखिरकार खुद शिकार हो गया !

105
एक अत्यंत रोचक कथानक जिसका केंद्र बिंदु एक ऐसी रहस्यमयी युवती थी जो एक पार्टी से अचानक यूं गायब हुई जैसे वहां थी ही नहीं, जिसके बारे में उसके मेजबान का दावा था कि वो उसे जानता ही नहीं था !
103
जालान एक फसादी, खुन्दकी, तंगदिल इन्सान था जो मर कर अपनी बीवी के लिये मुश्किल कर गया था । एक सहज, स्वाभाविक मौत की कहानी जो एक अदद नर्स की हालदुहाई के कारण ना सहज रह सकी और ना स्वाभाविक !
101
एक मगरूर राजकुमारी से महल की खातिर उसके ऐसे भाई के टकराव की कहानी जो महल को अपने वंश की आन बान शान का प्रतीक समझता था और सिर्फ खुद को उस आन बान शान का झंडाबरदार मानता था
99
लालचंद हीरवानी एक नौजवान लड़की से शादी की योजना बना रहा था ! फिर अचानक एक दिन उसका कत्ल हो गया और उसकी भावी दुल्हन उसके कत्ल की प्राइम सस्पैक्ट बन गई ! लेकिन क्या ये पूरी सच्चाई थी?                                      
97
एक दीवाली की रात की तेज रफ्तार कहानी जो सुनील की जिंदगी में रोशनी और खुशहाली के बजाय अंधेरा और परेशानियां लेकर आई
 
95
एक ऐसी गायबशुदा लाश की कहानी जिसमें ना केवल सुनील बल्कि गैंगस्टर और बम्बई से आये रईसजादे की भी दिलचस्पी थी
 93
निशा  मोदी ने जब अपने पति के ऑफिस में एक व्यक्तिगत एवं गोपनीय लिफाफा देखा तो उसके छक्के छूट गए ! क्या था उस लिफाफे का रहस्य ?

91
हालात की बेपनाह मार खाई हुई एक लंगड़ी, बूढी औरत की दर्द भरी दास्तान जिसकी दारुण पुकार पर सुनील एक बड़े और शक्तिशाली आदमी से जा टकराया

89
नाजायज भूमि अधिग्रहण में लिप्त राजनीतिबाजों और व्यापारियों से सुनील की लोमहर्षक भिड़ंत !

87
वो एक नामुराद औरत थी ! उसके एक बार नमूदार होते ही तबाही बरपा गयी थी ! वो कुछ भी कर सकती थी ! वो जादूगरनी थी ! एक अविस्मरणीय किरदार की अविस्मरणीय कहानी !
85
एक अखबार के काले कारनामों की हाहाकारी दास्तान जिसमें सत्य का साथ देने के लिए अपने मालिकों से भी टकरा गया
83
होलकर परिवार की डूबती नैया बचाने के लिए सुनील ने कई हैरतंगेज कारनामे कर दिखाए ! उनमें से पहला ये था कि उसने साबित कर के दिखाया कि की उनके खिलाफ दी गयी गवाही झूठी थी !

81

वो बहुत खूबसूरत थी ! वो हुस्न की मलिका थी ! वो किसी की तपस्या का फल, मन्नतों का नतीजा थी ! लेकिन वर्जित फल था ! वो विषकन्या थी !


79
शीला को कत्ल के इल्जाम से बचाने के चक्कर में सुनील रिवॉल्वर और खाली कारतूसों के बीच ऐसा घनचक्कर बना कि उसको लेने के देने पड़ गए

77

शहर के गैंगस्टर से सुनील की भिड़ंत की कहानी जिसमें उन्होंने सुनील को ऐसी चाल में फंसाया कि उसको पसीने आ गए

 75
अपने एक दोस्त को पंगे में पड़ने से बचाने के लिये जब सुनील ऑफिस से निकला तो जैसे जादू के जोर से - एक बार फिर - एक लाश उसके गले पड़ गई । एक अजीबो-गरीब वसीयत के चक्कर में फंसे एक परिवार की अदभुत कहानी ।
 73
एक अत्यंत रहस्यपूर्ण उपन्यास जिसका खलनायक एक ऐसा मक्कार आदमी था जो अभिनेत्री बनाने का झांसा देकर कई लड़कियों को खराब कर चुका था !

 71
ट्रिप्पल मर्डर की ससनिखेज दास्तान जिसमें पहली लाश सुनील के फ़्लैट से बरामद हुई और ऐसी ढीठ साबित हुई कि टाले न टली !

  69

राजनगर शहर के दो धूर्त, भ्रष्टाचारी, और रिश्वतखोर राजनीतिबाजों की एक-दूसरे को धता बताने की, छकाने की जद्दोजहद में जब अचानक ब्लास्ट के रिपोर्टर सुनील की टांग जा फंसी तो जलजला तो आना ही था !

67
राम कमलानी ने ऊंचे रुतबे को हासिल करने के लिये हर किसी की पीठ में छुरा भोंका था, हर किसी का गला काटा था । ऐसे आदमी की लाश जब उसके घर में पड़ी पायी गई तो किसी को कोई ताज्जुब ना हुआ ।
65
एक मामूली तस्वीर की रोमांचक कहानी जिसका अस्तित्व कई लोगों के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया

63

वो एक वहशी दरिन्दा था जिसे कि कई खूबसूरत नौजवान लड़कियों की नृशंस हत्याओं के लिये जिम्मेदार ठहराया भी चुका था । अब वो फरार था तो क्या नया दिन नयी लाश का सिलसिला फिर शुरू होने वाला था ?


61

शहर से बाहर से आए एक व्यापारी की टिप पर जब सुनील ने राजनगर में संचालित कॉलगर्ल्स के सुनियोजित रैकेट की तहकीकात की तो कई लोगों को ये बात रास नहीं आई ।

59

सुनील का मिशन एक चीनी एजेंट से जानकारी हासिल करना था लेकिन जब निश्चित समय के काफी बाद तक भी सुनील उससे ना मिल पाया तो वो समझ गया कि दुश्मन चाल चल गया था और अब उसका मिशन और जीवन दोनों खतरे में थे !

57
नागपाल साहब की मौत के बाद उनकी मिलकियत कम्पनी के शेयर, उनकी दो बेटियों में बंट गए तो उनको कब्जाने के लिये लोगों में जैसे होड़ लग गयी एक प्रतिद्वंद्वी तो शेयरों के साथ-साथ उनकी एक मालकिन को भी कब्जाने के सपने देखता था
55
कांसे की बनी हुई, एक हजार साल पुरानी नटराज की एक प्रतिमा चोरी चली गई । और साथ-साथ ही चोरी चले गये थे देश के एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान से सम्बंधित रहस्य । और अब सुनील का डबल मिशन था दोनों चीजों को ढूंढ निकालना ।
53
सुनील जानता था कि वह सीधा-सादा केस नहीं हो सकता था । वो ऐसा कोई केस था तो फिर उस खबर को अखबार वालों की पहुंच से बाहर रखने की कोशि‍श किसलिये ? और उस कोशि‍श में पुलिस की शिरकत किसलिये ?
51
हर कातिल की कोशिश होती है कि उसे कत्ल करते हुए कोई ना देख पाये । लेकिन इस कत्ल को स्टेडियम में बैठे हजारों दर्शकों ने देखा था जिनमें कि सुनील भी शामिल था ! लेकिन फिर भी किसी को नहीं मालूम था का कि कत्ल किसने किया था ?
49
ढाका की यात्रा के दौरान मंत्री जी को मार दिए जाने की धमकी थी और अब सुनील का मिशन था उनके प्रयासों को विफल कर डालना क्या एक अनजान देश में सुनील अपने मिशन में कामयाब हो पाया या फिर दुश्मन अपनी चाल गया !
47
किसी मर्डर केस के इकलौते चश्मदीद गवाह के एकाएक मारे जाने का मतलब था कि हत्यारा अब हवा की तरह आजाद था और उसे सजा नहीं दिलवाई जा स‍कती थी । ऐन ऐसा ही होता अगरचे कि केस में सुनील का दखल न हुआ होता ।
45
पाकिस्तानी इंटेलिजेंस का एक महत्वपूर्ण ऑफिसर कर्नल मकसूद अहमद भारत को डिफेक्ट करना चाहता था । सीधे-सादे लगने वाले इस मिशन के लिये सुनील को चुना गया था । लेकिन क्या ये मिशन इतना ही सीधा साबित होने वाला था ?
43
अपनी झगड़ालू और कर्कशा बीवी से तंग आकर किसी नौजवान लड़की के साथ घर से भागे ईश्वरलाल ने दस साल बाद फोन पर प्रकट होकर जिन लोगों से मिलने की इच्छा जाहिर की थी उनमें से ब्लास्ट का रिपोर्टर सुनील भी एक था ।

40

बदकिस्मती से कुछ बदमाशों की एक कत्ल को एक्सीडेंट का रूप देने की करतूत का सुनील चश्मदीद गवाह बन गया । अब उनको अपनी और अपने बॉस की सलामती सिर्फ इसी बात में नजर आती थी कि वे सुनील को रास्ते से हटा पाते !

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चीनी एजेंटों के चंगुल से आजाद हुई एक भारतीय टीम का मानना था कि टॉर्चर से बचने हेतु एक सदस्य गद्दार हो गया था और एक-एक करके उनको खत्म करता जा रहा था । क्या सुनील गद्दार को अपने आखिरी शिकार तक पहुंचने से रोक पाया ?
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सुनील का अगला मिशन लाश के साथ बरामद हुए कुछ महत्वपूर्ण सामान को कब्जाना था, लेकिन दुश्मन पहले ही चाल चल गया और सामान को ले उड़ा । और फिर जल्द ही सुनील को महसूस हो गया कि उसकी हर चाल पर दुश्मन की नजर थी ।
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सुनील ने जब इम्पीरियल क्लब में कदम रखा था तो वो नहीं जानता था कि वहां जानकारी का एक ऐसा बारूदी ढेर छुपा था जिसमें एक मामूली सी चिंगारी ही शहर के अनगिनत सम्माननीय आधारस्तंभों के जीवन में हड़कंप मचा सकती थी
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एक नौजवान को संकट से बचाने के चक्कर में सुनील खुद मुसीबत में फंस गया फिर जैसे-जैसे सुनील ने खुद को संकट से उबारने की कोशिश की, उसे महसूस होता गया कि इस संकट के बादल केवल उस पर ही नहीं अपितु पूरे देश पर मंडरा रहे थे

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क्या किसी ऐसी युवती को सही राह पर चलने के लिये प्रेरित किया जा सकता था, जिसने कि गुमराह होने की कसम खाई हुई थी । ऐसी युवती की दिलोजान की जीनत बने विक्षिप्त हत्यारे ने क्या गुल खिलाया ?

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देश के गुप्त रहस्यों के चक्कर में पड़े जासूसों के आपसी टकराव की एक हंगामाखेज कहानी ।

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सी आई बी एजेन्ट नगेन्द्र चौधरी दुश्मनों से जा मिला था और अब सुनील का मिशन था उस डबल एजेन्ट को ना सिर्फ ढूंढ निकालना बल्कि वापिस भारत में लाना । लेकिन नगेन्द्र चौधरी के पीछे सिर्फ सुनील ही नहीं, और लोग भी पड़े थे ।

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खांडेलवाल नामक एक स्टॉक ब्रोकर ने अपने क्लायंटों से धोखाधड़ी करके एक बड़ी रकम इकट्ठी कर डाली थी । परन्तु फिर चोर को मोर पड़ गए और उसी रकम के चक्कर में उसके जीवन में ऐसा भूचाल आया कि वो पनाह मांग गया

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विदेशी स्पाई एजेंट्स के लेटेस्ट षड्यंत्र को विफल करने का मिशन जब सुनील को सौंपा गया तो उसे मालूम हुआ कि वो एक ऐसे सशक्त दुश्मन के मुक़ाबिल था जिसे वो कब का मर चुका समझ रहा था ।

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कहते हैं अपराध कभी फल नहीं देता । कानून के लम्बे हाथ अपराधी को पहले ही गिरफ्त में ले लेते हैं । क्या इस बार भी ऐसा ही हुआ और अपराधी पकड़ा गया ? क्या वो अपराधी सफल हो पाया ?
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सिर्फ सनसनी फैलाने के लिये सुनील द्वारा छपाई गई एक मामूली खबर ने एक युवती को कई पार्टियों के आकर्षण का केंद्र बना दिया ! और अब हर पार्टी का केवल एक ही मकसद था - युवती का खात्मा या उस पर कब्जा ।

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अपने कॉटेज में लड़कियों को बुलाकर उनके साथ मनमानी करना महेश कुमार का पसंदीदा शगल था । फिर एक रात जब उसकी लाश बरामद हुई तो पुलिस की धारणा थी कि ऐसी ही किसी लड़की ने उसकी ईहलीला समाप्त कर डाली थी ।

14

रत्नप्रकाश एक कॉन्फ्रेंस से लौटा तो उसके साथ एक सुन्दरी थी जिसे वो अपनी बताता था । और अब उसकी सैक्रेटरी नीला का दावा था कि रत्नप्रकाश ने न केवल उसे धोखा दिया था बल्कि वो खुद भी किसी धोखे का शिकार हो गया था ।

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एक अजनबी की मदद करने के चक्कर में सुनील एक ऐसी संगठित संस्था से दुश्मनी मोल ले चुका था जिसके अस्तित्व तक को कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं था संस्था के सदस्य सभ्य समाज के अभिन्न अंग थे और वे सब अब सुनील की जान के पीछे हाथ धो कर पड़े थे !
10
सेठ सुन्दरदास ने अपने दूर के रिश्तेदारों को अपने घर में आश्रय दिया था । लेकिन फिर हालात ने कुछ ऐसा पलटा खाया कि सुन्दरदास ने खुद को पागलखाने में बंद पाया । काश कि वो जानता होता कि वो रिश्तेदार नहीं सांप पाल रहा था !
8
मां द्वारा स्थापित ट्रस्ट का संचालन ज्यों ही आरती के काबू में आया, उसमें से कुछ निश्चित रकम गायब होने लगी जिसके बारे में उसके पिता का खयाल था कि उसे कोई शैतान ब्लैकमेल कर रहा था ।
6
देश के अत्यन्त गोपनीय रहस्य से सम्बन्धित कुछ कागजात न केवल प्रतिरक्षा मन्त्रालय से गायब हो गए बल्कि एक मामूली व्यक्ति की जेब से तब बरामद हुए जब कि उसका मृत शरीर रेलवे लाइन पर पड़ा पाया गया ।

4

राजनगर शहर के कुछ बड़े, प्रतिष्ठित वीआईपीज की कहानी जो इस शाश्वत सत्य को झुठलाना चाहते थे कि जो जन्मा है उसका मरना निश्चित है ।

2
दीनानाथ और मुरलीधर लोगों को जुए के लिये प्रोनोट लिखवाकर उधार देकर अपनी जेबें भरते थे एक दिन जब मुरलीधर की लाश बरामद हुई तो आम धारणा यही थी कि ऐसे ही किसी प्रोनोट के शिकार ने उसका काम तमाम किया था ।

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