Sunil Series
"खींचो ना कमानों को, ना तलवार निकालो
जब तोप मुक़ाबिल हो, तो अखब़ार निकालो"
पाठक साहब द्वारा रचित क्राईम रिपोर्टर सुनील कुमार चक्रवर्ती प्रसिद्ध शायर अकबर इलाहबादी की इन पंक्तियों को अक्षरशः सत्य करता और सत्यमेव जयते का नारा लगाता किरदार
है ! जब 1963
में पहली बार सुनील पाठकों से मुखातिब हुआ था, तो क्या
प्रकाशक, क्या विक्रेता और क्या पाठक, सभी का ये मानना था कि डिटेक्टिव - फिक्शन की दुनिया जिसमें सीक्रेट एजेंट, प्राईवेट जासूस या पुलिस इंस्पेक्टर स्थापित और प्रमुख पात्र होते थे, एक पत्रकार का किरदार नहीं टिक सकता,
नहीं टिकेगा ! आज लगभग आधी सदी बीतने और 120 उन्पयासों के प्रकाशन के पश्चात, सुनील का किरदार डिटेक्टिव - फिक्शन में नए प्रतिमान स्थापित कर चुका है ! पिछले पांच दशकों के दौरान सुनील का ये किरदार, लाखों पाठकों के दिल और दिमाग पर अपनी अमिट छाप छोड़ चुका है ! सुनील की प्रसिद्ध "स्मार्ट टाक" को अनगिनत पाठकों ने ना केवल दिल से सराहा है, बल्कि अपने अंदाजे बयां में भी शामिल किया है !
सुनील पाठक साहब का सबसे चहेता किरदार है और वास्तव में स्वयं पाठक साहब के व्यक्तित्व की एक परछाई है ! पाठक साहब खुद लिखते हैं कि "हालाँकि विमल सीरीज ज्यादा मकबूल है पर मुझे तो सुनील सीरीज के उपन्यास लिखना ज्यादा भाता है ,क्योंकि सुनील सीरीज के उपन्यास लिखते वक़्त मैं अपनी कल्पना सुनील के रूप में करता हूं !"
120
सच्चाई और इन्साफ के पुजारी, ब्लास्ट के निर्भीक सिपाही सुनील का नवीनतम शाहकार ! घात और प्रतिघात का डबल गेम !
98
सुनील के सामने चैलेन्ज था कानून का एक ऐसे मुजरिम को बेगुनाह साबित कर दिखाने का जिसके खिलाफ एक एयरटाईट केस था ! क्या सुनील उस चैलेन्ज पे खरा उतर पाया ?
84
इन्स्पेक्टर प्रभूदयाल ने चौबीस घंटे के अंदर डकैती के गुनाहगारों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन जब डकैतों ने उस पर इल्जाम लगा डाला कि उसने डकैती की रकम का एक हिस्सा खुद डकार लिया था ।
76
फांसी लगने वाले एक बेगुनाह की पुकार पर जब सुनील ने उस केस के बखिए उधेड़ने शुरू किये तो ऐसे ऐसे रहस्य सामने आये कि लोग चकित रह गए ! सुनील सीरीज का एक अभूतपूर्व उपन्यास !
64
एक बहुत ही बड़े लेखक की जिंदगी की लिखी आखिरी और अप्रकाशित स्क्रिप्ट के चक्कर में घटित हुई असाधारण घटनाओं की एक रोमांचक कहानी।
60
ठाकुर जोरावर सिंह की कलाकृतियों के संग्रह को देखने आया हवेली का एक मेहमान जब अचानक गायब हो गया तो सबका मानना था कि वो हवेली के भुतहा माहौल और प्रेतलीला से डरकर भाग गया था । लेकिन सुनील सबसे सहमत नहीं था ।
'अमन के दुश्मन' और 'हाईजैक' का सामूहिक संस्करण ।
31
मेनरिको रोजी नामक मामूली स्मगलर के हाथ जब देश की सुरक्षा सम्बन्धी महत्वपूर्ण कागजात लगे तो वो रातों-रात अमीर होने के ख्वाब देखने लगा । वो नहीं जानता था कि वो आग से खेल रहा था और जल्द ही उसकी जान पर बनने वाली थी ।
29
सन्तोष कुमार जितना अच्छा और बड़ा अभिनेता था, उतना ही बददिमाग और घटिया इंसान भी था । ऐसे इन्सान को जब मार डालने की कोशिश की गयी तो किसी को कोई ताज्जुब ना हुआ !
25
कृति मजूमदार का पति एक स्मगलर था जो किसी और के हाथ की कठपुतली बना हुआ था । और फिर जब कृति ने अपने पति को इस चंगुल से छुड़ाने की खातिर सुनील से मदद मांगी तो उसकी जिंदगी में जैसे एक भूचाल आ गया ।
15
सी आई बी एजेंट द्वारा तैयार की गयी कुछ अति महत्वपूर्ण लिस्टें सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बजाय दुश्मन के हाथों में पड़ गयी । और अब कर्नल मुखर्जी के सामने सुनील को हांगकांग भेजने के अलावा और कोई रास्ता शेष ना था !
13
डॉक्टर चन्द्रशेखरन ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण एटॉमिक शस्त्र का आविष्कार किया था । लेकिन फिर एक दिन रहस्यपूर्ण हालातों में डॉक्टर का उनके शस्त्र समेत अपहरण कर लिया गया ! आखिर कौन था इस अपहरण के पीछे ?
चार लुटेरे अपनी योजना हर कदम पर आती कठिनाइयों के बावजूद माल लूटने में कामयाब हो तो गए । लेकिन फिर उनकी लूट की खीर में ब्लास्ट के रिपोर्टर सुनील चक्रवर्ती के रूप में जैसे मक्खी पड़ गई !
7
दीवान नाहर सिंह अपनी ऐतिहासिक कलेक्शन की नुमायश के लिये अनेक सुरक्षा इंतजामों के बीच अक्सर बड़ी-बड़ी पार्टियां देता था । लेकिन उसके उन तमाम इंतजामों के बावजूद एक पार्टी के बाद एक बुद्ध की मूर्ति गायब पाई गई ।
1
पुलिस की नजर में वो एक सीधा-सादा केस था जिसमें उनके पास अकाट्य सबूत थे लेकिन फिर प्रैस रिपोर्टर सुनील के दखल के बाद वो एक सीधा-सादा केस ना बना रह पाया । सुरेन्द्र मोहन पाठक की कलम से निकला पहला उपन्यास ।
119
प्रकाश खेमका पर आरोप था कि वो अपनी मैगज़ीन की ओट में फ्रेंडशिप क्लब चलाता था ! वो इस इलज़ाम से मुक्त न हो पाता तो मैगज़ीन बंद हो सकती थी ! वो खुद बंद हो सकता था !
107
वो कलम को ब्लैकमेल का औजार बनाने वाला ब्लैकमेलर था ! वो एक शिकारी था, जो आखिरकार खुद शिकार हो गया !
नाजायज भूमि अधिग्रहण में लिप्त राजनीतिबाजों और व्यापारियों से सुनील की लोमहर्षक भिड़ंत !
81
वो बहुत खूबसूरत थी ! वो हुस्न की मलिका थी ! वो किसी की तपस्या का फल, मन्नतों का नतीजा थी ! लेकिन वर्जित फल था ! वो विषकन्या थी !
77
शहर के गैंगस्टर से सुनील की भिड़ंत की कहानी जिसमें उन्होंने सुनील को ऐसी चाल में फंसाया कि उसको पसीने आ गए ।
69
राजनगर शहर के दो धूर्त, भ्रष्टाचारी, और रिश्वतखोर राजनीतिबाजों की एक-दूसरे को धता बताने की, छकाने की जद्दोजहद में जब अचानक ब्लास्ट के रिपोर्टर सुनील की टांग जा फंसी तो जलजला तो आना ही था !
63
वो एक वहशी दरिन्दा था जिसे कि कई खूबसूरत नौजवान लड़कियों की नृशंस हत्याओं के लिये जिम्मेदार ठहराया भी चुका था । अब वो फरार था तो क्या नया दिन नयी लाश का सिलसिला फिर शुरू होने वाला था ?
61
शहर से बाहर से आए एक व्यापारी की टिप पर जब सुनील ने राजनगर में संचालित कॉलगर्ल्स के सुनियोजित रैकेट की तहकीकात की तो कई लोगों को ये बात रास नहीं आई ।59
सुनील का मिशन एक चीनी एजेंट से जानकारी हासिल करना था । लेकिन जब निश्चित समय के काफी बाद तक भी सुनील उससे ना मिल पाया तो वो समझ गया कि दुश्मन चाल चल गया था और अब उसका मिशन और जीवन दोनों खतरे में थे !
40
बदकिस्मती से कुछ बदमाशों की एक कत्ल को एक्सीडेंट का रूप देने की करतूत का सुनील चश्मदीद गवाह बन गया । अब उनको अपनी और अपने बॉस की सलामती सिर्फ इसी बात में नजर आती थी कि वे सुनील को रास्ते से हटा पाते !
30
क्या किसी ऐसी युवती को सही राह पर चलने के लिये प्रेरित किया जा सकता था, जिसने कि गुमराह होने की कसम खाई हुई थी । ऐसी युवती की दिलोजान की जीनत बने विक्षिप्त हत्यारे ने क्या गुल खिलाया ?
26
सी आई बी एजेन्ट नगेन्द्र चौधरी दुश्मनों से जा मिला था और अब सुनील का मिशन था उस डबल एजेन्ट को ना सिर्फ ढूंढ निकालना बल्कि वापिस भारत में लाना । लेकिन नगेन्द्र चौधरी के पीछे सिर्फ सुनील ही नहीं, और लोग भी पड़े थे ।
22
विदेशी स्पाई एजेंट्स के लेटेस्ट षड्यंत्र को विफल करने का मिशन जब सुनील को सौंपा गया तो उसे मालूम हुआ कि वो एक ऐसे सशक्त दुश्मन के मुक़ाबिल था जिसे वो कब का मर चुका समझ रहा था ।
16
अपने कॉटेज में लड़कियों को बुलाकर उनके साथ मनमानी करना महेश कुमार का पसंदीदा शगल था । फिर एक रात जब उसकी लाश बरामद हुई तो पुलिस की धारणा थी कि ऐसी ही किसी लड़की ने उसकी ईहलीला समाप्त कर डाली थी ।
14
रत्नप्रकाश एक कॉन्फ्रेंस से लौटा तो उसके साथ एक सुन्दरी थी जिसे वो अपनी बताता था । और अब उसकी सैक्रेटरी नीला का दावा था कि रत्नप्रकाश ने न केवल उसे धोखा दिया था बल्कि वो खुद भी किसी धोखे का शिकार हो गया था ।
4
राजनगर शहर के कुछ बड़े, प्रतिष्ठित वीआईपीज की कहानी जो इस शाश्वत सत्य को झुठलाना चाहते थे कि जो जन्मा है उसका मरना निश्चित है ।