Secret Agent
कोरबा, छत्तीसगढ़ के गुरदीप ओहरी को ‘सीक्रेट एजेंट’ बहुत अच्छा लगा । उन्हें नीलेश गोखले और श्यामला उपन्यास में बहुत भाए और उन्होंने नीलेश का पात्र गढ़ने के लिए मुझे बधाई का पात्र ठहराया ।
48 वर्षीय ओहरी साहब पेशे से सिविल इंजीनीयर हैं और बारह वर्ष की आयु से मेरे उपन्यास पढते आ रहे हैं । पहले इब्ने सफी, ओम प्रकाश शर्मा, वेद प्रकाश काम्बोज, कर्नल रणजीत वगैरह के भी शैदाई थे लेकिन अब अपनी परिपक्व आयु में, बकौल खुद, सिर्फ और सिर्फ मेरे उपन्यास पढते हैं ।
बांदा के अश्विनी कुमार पाण्डेय ने ‘सीक्रेट एजेंट’ रात के बारह बजे पढ़ना शुरू किया और सुबह चार बजे पढ़कर ही छोड़ा । बकौल उनके बीच में कई बार पढ़ना स्थगित करने की कोशिश की लेकिन कथानक ने ऐसा बाँधा कि छोड़ा ही न गया ।
23 वर्षीय राजसिंह आगरा से हैं लेकिन आजकल दिल्ली में हैं और MCA कर रहे हैं । पांच साल से मेरे नियमित पाठक हैं और बकौल उनके ‘सीक्रेट एजेंट’ ने गवाही की सक्सेस स्टोरी को पूरी तरह से कायम रखा है । कहते हैं कि नीलेश का कैरेक्टर जो ‘गवाही’ में क्रिकेट मैच देखते स्टार्ट हुआ था, वो अब ‘सीक्रेट एजेंट’ में इतना अच्छा लगेगा, इसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी । उपन्यास की समाप्ति में ‘हैपी एंडिंग’ ने उन्हें एक खुशनुमा अहसास कराया ।
मनीष ने ई-मेल पर अर्ज किया है कि ‘सीक्रेट एजेंट’ उन्हें इतना पसंद आया कि फौरन ई-मेल से फीड बैक भेजने से खुद को रोक न सके । ई-मेल आई डी आखिर बना ही लेने के लिए उन्होंने ‘देर आयद दुरुस्त आयद’ जैसी बधाई से मुझे नवाजा, मोडर्न हिंदी लिटरेचर इरा का मुझे टॉप का राइटर करार दिया और मेरी भाषा और लेखन शैली की विशेष रूप से प्रशंसा की ।
ई-मेल से बिज्जू पांचाल ने ‘सीक्रेट एजेंट’ की सराहना की, उसे ‘काफी अच्छा’ करार दिया, और उपन्यास लेट प्रकाशित होने की विशेष रूप से शिकायत की और ‘जीते’ से जल्द-अज-जल्द मुलाक़ात की फरमायश की ।
बाजारिया ई-मेल ही अरशद आलम फरमाते हैं कि सन 1988 से वो मेरे नियमित पाठक हैं और जैसा जलवा उन्होंने मेरे लेखन का देखा वो उन्होंने नगण्य पाया । आलम साहब मेरी हर सीरीज के, हर किरदार के शैदाई हैं और वो मेरा हर उपन्यास तीन-तीन बार पढ़ चुके हैं । पेशे से ओरियंट बैंक के ईस्ट U.P. के एरिया मैनेजर हैं और अपनी नौकरी को मेरे उपन्यासों की देन बताते हैं क्योंकि बकौल उनके नौकरी में जिस सेल्समैन शिप और सलाहियात की जरूरत होती है वो सब मैंने आप से ही सीखा है वाया नोवल्स । आलम साहब को खेद है कि, ‘सीक्रेट एजेंट’ पूरी तरह से मुतमईन न कर सका । स्टोरी उन्हें सीधी सादी लगी जिसमें थ्रिल का सर्वदा अभाव लगा । सबसे ज्यादा चुभती बात जनाब ने ये लिखी कि ‘सीक्रेट एजेंट’ उन्हें ‘दबंग’, ‘राउडी राठौड’ जैसा नोवल लगा जबकि वो मुझसे ‘ए वेडनेसडे’ जैसी रचनाओं की अपेक्षा करते हैं ।
बाजारिया ई-मेल विशी सिन्हा ने ‘सीक्रेट एजेंट’ सम्बन्धी जो राय भेजी है वो उन्हीं के शब्दों में उद्धृत है :
"ऊपर वाले का शुक्र है कि आपकी कलम की धार अभी भी पैनी है और वक्त या उम्र का कोई असर उस पर नहीं है । ‘सीक्रेट एजेंट’ ऐसी रचना है जिसे पढकर बस आनंद आता है । नीलेश गोखले का किरदार गवाही में जहाँ बहुस्तरीय नजर आता है, वहां ‘सीक्रेट एजेंट’ में एक सच्चे नायक के रूप में उभर के आता है । घटनाक्रम इतना जीवंत है जैसे लगता है आप खुद भी एक पात्र हैं । बहुत ही अच्छा उपन्यास लगा । मेरी नजर में ‘सीक्रेट एजेंट’ एक कालजयी रचना है जो ‘डायल 100’ की तरह ही लम्बे समय तक पाठकों को याद रहेगी ।"
जगदीप सिंह रावत बचपन से मेरे उपन्यास पढते आ रहे हैं – ये अरसा कितना हुआ कहना मुहाल है क्योंकि उन्होंने अपनी मेल में अपनी वर्तमान आयु का कोई जिक्र न किया । रावत साहब विमल के उपन्यासों की टेस्ट मैच, सुधीर के उपन्यासों को वन-डे-इन्ट्र्नैशनल और थ्रिलर्स को 20-20 सीरीज मानते हैं । ‘सीक्रेट एजेंट’ ने उनका उनका भरपूर मनोरंजन किया और नीलेश गोखले अपने नए परिवेश में उन्हें खूब पसंद आया । अलबत्ता उपन्यास पढते वक्त इस अंदेशे ने उन्हें आखिर तक सताया कि ‘अब ईमानदार’ गोखले शहीद न हो जाए । क्लाईमैक्स में मोकाशी ने रावत साहब को विशेष रूप से प्रभावित किया, उसका हृदय परिवर्तन उसके अपनी बेटी के लिए बेपनाह प्यार का परिचायक लगा । कुल मिलाकर उपन्यास उन्हें बहुत ही बढ़िया लगा ।
भोपाल के जनाब शम्स-उल-रहमान अलवी को ‘सीक्रेट एजेंट’ खूब खूब पसंद आया और उन्होंने मुझे जिस बड़ी प्रशस्ति से नवाजा वो उन्हीं के शब्दों में : “ After Ibne Safi, you alone kept the standards of fiction in ‘suragrasaani’. अलबत्ता उपन्यास के मुम्बैया डायलेक्ट के बहुतायत में इस्तेमाल से अलवी साहब को शिकायत हुई ।
इंदौर की शीतल शर्मा बाजारिया SMS फरमाती हैं :
"क्या लिखा रे बाबा ! सांस रोक कर पूरा नोवल पढ़ा, बाई गोड ! ऐसा काम सिर्फ आप ही कर सकते हो कि नावल पढता इंसान दीन दुनिया भूल जाए । कमाल है कमाल ! दुआ है आप लिखते रहें और हम पढते रहें ।"
रायसिंह नगर, राजस्थान के राजेन्द्र प्रसाद गोदारा को ‘सीक्रेट एजेंट’ शुरू से लेकर आखिर तक पठनीय, तेज रफ्तार और टिपीकल सुरेन्द्र मोहन पाठक उपन्यास लगा । अलबत्ता उनकी राय में हीरो पर सीरीज का लेबल न लगा कर एक आम ईमानदार, सामान्य व्यक्ति को आईलैंड पर भेजा जाता, पूरा थाना बदल दिया जाता, आइलैंड को मिलिट्री के हवाले कर दिया जाता तो भी वो सब कुछ हो सकता था जो मैं – लेखक चाहता था । यही नहीं, उनकी राय में गोखले की जगह जीते को या विमल को आइलैंड भेजा जाता तो भी कोई फर्क न पड़ता ।
हैदराबाद के जीतेन्द्र माथुर की राय उनके अपने शब्दों में :
“जब मैंने गवाही पढ़ा था, तभी नीलेश गोखले के किरदार ने मुझे बहुत प्रभावित किया था । उस समय मैं नहीं जानता था कि नीलेश के किरदार को आधार बना कर आप एक और उपन्यास भविष्य में लिखेंगें । आपने लिखा और क्या खूब लिखा ! बेहतरीन ! काबिलेदाद ! ‘गवाही’ से एक कदम आगे । इसमें कोई शक नहीं कि ‘गवाही’ और ‘सीक्रेट एजेंट’ हमेशा आपके सर्वश्रेष्ठ थ्रिलर उपन्यासों में शुमार होंगे ।"
जीतेन्द्र माथुर मेरे पुराने, कमिटिड पाठक हैं जिनका हालिया शगल मेरे पुराने, प्रसिद्ध उपन्यासों की विस्तृत रिव्यू इंटरनेट पर पोस्ट करना है ।
मेरे सुबुद्ध पाठकों की मेरे ई-मेल प्रयोग करने पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया को मद्देनजर रखते हुए मैंने एक प्रोफेशनल ई-मेल ( contact@smpathak.com ) शुरू की है और उम्मीद है कि आप सब मुझे हमेशा की तरह यूं ही अपनी राय से अवगत कराते रहेंगें ।
होली की अग्रिम शुभकामनाओं सहित
विनीत
S.M. Pathak
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